तारीख 5 नवंबर 2013
प्रेस विज्ञप्ति
जनवादी लेखक
संघ हिंदी के जानेमाने रचनाकार आलोचक परमानंद श्रीवास्तव के आकस्मिक निधन पर गहरा
शोक व्यक्त करता है ।
गोरखपुर के निकट बांसगांव में 9 फ़रवरी 1935
को जन्मे परमानंद श्रीवास्तव ने कविता, कहानी और आलोचना के क्षेत्र में अपने
लेखन से हिंदीजगत में अपनी पहचान बनायी । उनके कवितासंग्रहों में, उजली हंसी के छोर पर , अगली शताब्दी के बारे में , चौथा शब्द (1993), एक अनायक का वृतांत (2004) प्रमुख थे, उनका कहानी संग्रह, रुका हुआ समय 2005 में प्रकाशित हुआ था। आलोचना पुस्तकों में, नयी कविता का परिप्रेक्ष्य (1965), हिंदी कहानी की रचना प्रक्रिया (1965), कवि कर्म और काव्यभाषा (1975), उपन्यास का यथार्थ, रचनात्मक भाषा (1976), जैनेंद्र के उपन्यास (1976), समकालीन कविता का व्याकरण (1980), समकालीन कविता का यथार्थ (1980), शब्द और मनुष्य (1988), उपन्यास का पुनर्जन्म (1995), कविता का अर्थात (1999), कविता का उत्तरजीवन (2005) प्रमुख थीं। इनके अलावा उनकी प्रकाशित
कृतियों में एक विस्थापित की डायरी (2005) तथा एक निबंधसंग्रह, अंधेरे कुएं से
आवाज भी 2005 में ही प्रकाशित हुआ था। उन्होंने डॉ. नामवर सिंह के साथ लंबे
समय तक स्वतंत्र रूप से साहित्यिक पत्रिका 'आलोचना' का संपादन भी किया था। उनको 'भारत भारती' तथा 'व्यास सम्मान' सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
जनवादी लेखक संघ ऐसे प्रतिभावान रचनाकार साथी को अपनी
भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है और उनके परिवारजनों के प्रति हार्दिक संवेदना
प्रकट करता है।
चंचल चौहान
महासचिव
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