Friday, October 18, 2013

प्रो. गोविंद पुरुषोत्तम देशपांडे नहीं रहे


 प्रेस विज्ञप्ति
           जनवादी लेखक संघ जाने माने मराठी नाटककार, लेखक और चिंतक प्रो. गोविंद पुरुषात्तम देशपांडे के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करता है। प्रो. देशपांडे को 15 जुलाई को ब्रेनहेमरेज हुआ था, तब से वे गंभीर अचेत अवस्था में पुणे के एक अस्पताल में दाखि़ल रहे, मगर उन्हें बचाया न जा सका, 16 अक्टूबर की रात को उनका देहावसान हो गया। वे 75 बरस के थे।
               प्रो. देशपांडे जवाहरलाल यूनिवर्सिटी में पूर्वी एशिया अध्ययन केंद्र मे चीन के मसलों के विशेषज्ञ के तौर पर 2004 तक अध्यापन करते रहे और उसके बाद सेवानिवृत्त हो कर पुणे मे रहने चले गये। उन्होंने एक मेधावान और सक्रिय लेखक के रूप में अपनी पहचान अर्जित की। उन्होंने तीन दशक तक इक्नामिक एंड पोलिटिकल वीकली में नियमित कालम लिखा, अंग्रेजी में ज्यातिबा फुले के लेखन को संपादित किया, साहित्य अकादमी के लिए अंग्रेजी में माडर्न ड्रामा का संकलन तैयार किया। अंग्रेजी में उनका काफी सारा लेखन किताबों के रूप में प्रकाशित हो चुका है। वे मशहूर अंग्रेजी पत्रिका जर्नल आफ आर्ट्स एंड आइडियाज़ के संस्थापक संपादक भी रहे। एक नाटककार के तौर पर भी उन्हें काफी ख्याति हासिल हुई। उनके नाटकों में उध्वस्त धर्मशाला, अंधार यात्रा, रास्ते, सत्यशोधक आदि बहुत मशहूर हुए और उनके मंचन में नामीगिरामी रंगकर्मियों और अदाकारों ने शिरकत की। जनवादी लेखक संघ को उनका अपार स्नेह सदैव हासिल रहा।
     जनवादी लेखक संघ प्रो. देशपांडे को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है और उनके परिवारजनों के प्रति हार्दिक संवेदना प्रकट करता है।
 चंचल चौहान
महासचिव

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