Friday, March 25, 2011

प्रेस विज्ञप्ति

जनवादी लेखक संघ हिंदी के जाने माने रचनाकार और प्रलेस के महासचिव प्रो0 कमला प्रसाद के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक प्रकट करता है। वे पिछले काफी दिनों से बीमार थे। उन्हें हाल ही में नयी दिल्ली के आल इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट में भरती कराया गया था। मगर आज उनका देहांत हो गया। उनका पार्थिव शरीर सीपीआइ के केंद्रीय कार्यालय अजय भवन लाया गया जहां दिल्ली और बाहर के भी बहुत सारे लेखक उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए जमा हुए थे। उनका शरीर छह बजे शाम भोपाल ले जाया जायेगा जहां उनकी अंत्येष्टि होगी। जनवादी लेखक संघ की ओर से दोनों महासचिवों मुरली मनोहर प्रसाद सिंह व चंचल चौहान और केद्र सचिव रेखा अवस्थी ने पुष्पमाल अर्पित करके कमला प्रसाद के प्रति अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की । जनवादी लेखक संघ प्रलेस के साथ ही 2 अप्रैल को नयी दिल्ली में आयोजित होने वाली शोक सभा में शिरकत करेगा।
डॉ0 कमला प्रसाद हिंदी की प्रगतिशील परंपरा के महत्वपूर्ण और सुप्रसिद्ध आलोचक थे। कमला प्रसाद ने आलोचना के अलावा अपनी अकादमिक दक्षता व संपादन कुशलता और संगठनात्मक क्षमता का जो परिचय हिंदी जगत को दिया है वह अदभुत ही कहा जा सकता है। उनकी रचनाएं साहित्यशास्त्र छायावाद-प्रकृति और प्रयोग छायावादोत्तर काव्य की सामाजिक सांस्कृतिक पृष्ठभूमि दरअसल साहित्य और विचारधारा रचना और आलोचना की द्वंद्वात्मकता आधुनिक हिंदी कविता और आलोचना की द्वंद्वात्‍मकता समकालीन हिंदी निबंध मध्ययुगीन रचना और मूल्य कविता तीरे आलोचक और आलोचना आदि से उनकी लेखकीय प्रतिभा का हमें आभास होता है। कहना न होगा कि एक प्रतिबद्ध रचनाकार और मानवीय मूल्यों के प्रति सजग प्रहरी के रूप में उन्हें प्रतिष्ठा व आदर हर जगह हासिल था।

उन्होंने अवधेश प्रताप विश्वविद्यालय रीवां में पहले प्राध्यापक और बाद में अध्यक्ष के रूप में काम किया तथा अकादमिक क्षेत्र में भी अपनी विद्वत्ता का परिचय दिया। वहां उन्होंने अंतर्भारती जैसे बहुकला केंद्र की नींव रखी।
उनके कुशल संयोजन एवं संपादन में वसुधा जो अब प्रगतिशील वसुधा के नाम से निकल रही है साहित्य की पत्रिका के रूप में एक स्थान बना चुकी है। इसका संपादन उन्होंने अपने हाथ में नब्बे के दशक से लिया हुआ था। वे सेवानिवृत्त होकर मध्यप्रदेश कला परिषद् के निदेशक भी रहे और फिर कुछ दिनों तक केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष। दर्जनों सरकारी-गैरसरकारी कमेटियों व विश्विवद्यालयों की कार्यपरिषदों आदि में वे सदस्य रहे।
14 फरवरी 1938 को मध्यप्रदेश के सतना जिले में धौरहरा गांव के एक ग़रीब किसान परिवार में कमला प्रसाद का जन्म हुआ था। उन्होंने एक जगह लिखा है कि मेरा स्वयं का जीवन शोषण को बहुत करीब से देख चुका था। परसाई जी की बातों ने मुझे प्रतिबद्धता और पक्षधरता का पाठ प़ढाया। मार्क्स और मार्क्सवादी साहित्य में रुचि ब़ढी। इस तरह कमला प्रसाद जी ने अपना जीवन संगठन व साहित्य को समर्पित कर दिया तथा अर्थवान जीवन जी कर हम से विदा हुए।
जनवादी लेखक संघ इस कर्मठ व प्रतिबद्ध रचनाकार को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करता है व उनके परिवारजनों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता है।

मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, महासचिव
चंचल चौहान, महासचिव

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