Sunday, December 21, 2008

नया पथ


अक्‍टूबर–​दिसंबर 2008 अंक
अनुक्रम
संपादकीय : एक अंधेरी सुरंग में फंसी दुनिया / 5
अब्राहम लिंकन के पत्र का काव्य रूपांतरण :
राम प्रसाद दाधीच ‘प्रसाद’
उसे सिखाना / 11
आंसुओं में कोई शर्म की बात नहीं / 11
विश्वपूंजीवाद का संकट
सरकारें सीधे हस्‍तक्षेप कर अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ायें :
प्रभात पटनायक / 15
आर्थिक रू​ढ़िवादिता : अंधविश्वास पर आधारित सिद्धांत : मेडेलीन बंटिंग
(अनुवाद : उमराव सिंह जाटव) / 20
पूंजीवाद का वर्तमान विश्वव्यापी संकट : गिरीश मिश्र / 24
वित्तीय पूंजीवाद को बचाने की कवायद : ए.वी. राजवाड़े / 28


मौजूदा ​विश्‍वपूंजीवादी संकट और समाजवादी लक्ष्‍य की प्रासं​गिकता:


सीताराम येचुरी / 30
विश्वपूंजीवाद के गहराते संकट पर बहस की रपट :
संजीव कुमार / 39
कविता संवाद
एकांत श्रीवास्तव : तपने लगा है क्रोध का ठंडा पत्थर :
मदन कश्यप / 47
पांच कविताएं : एकांत श्रीवास्तव
धूप में एक पक्षी उड़ता है / 51
आकाश / 52
सूनी लंबी दोपहर / 53
चेहरा नहीं / 53
हीरा / 55
कुबेरदत्त : छटपटाहट के तहख़ाने से आती आवाज़ :
मुरली मनोहर प्रसाद सिंह / 57
चार कविताएं : कुबेरदत्त
रंगशाला में... / 59
तुलसीदास / 60
नगाड़े की तरह... / 61
कुछ तो है ... / 62
कुमार अंबुज : ढोल–सी जिंदगी पर थाप देता एक कवि : एकांत श्रीवास्तव / 63
चार कविताएं : कुमार अंबुज
कुछ याद करते हुए / 64
पत्थर हूं / 66
पूर्वजन्मों की स्मृति / 67
हत्यारे की जीवनी / 68
बो​​धिसत्व : कविता में निवास करती हुई वेदना : कुमार अंबुज / 71
चार कविताएं : बोधिसत्व
हार गये पिता / 73
कोई ​चिह्न नहीं है / 74
‘ले लो तिरंगा प्यारा ले लो’ / 75
टैगोर और अंधी औरतें / 77
मदन कश्यप : सांस्कृतिक रूपकों से लिपटे यथार्थ के कवि : बो​धिसत्‍व / 81
तीन कविताएं : मदन कश्यप
आदिवासी / 83
सलवा जुडूम / 85
निठारी में ज़रथुस्त्र / 85
स्मरण
प्रभा खेतान : ‘सुओरानी‘ के दुखों की लेखिका : अरुण माहेश्वरी / 87
प्रभा खेतान की रचनाशीलता : पूनम कुमारी / 93
कहानी
मिस्टर नो–बडी : सलाम बिन रज्ज़ाक़ / 97
मुक्ति पथ : कमला कांत त्रिपाठी / 104
‘अ’ से अदालत : कला कौशल / 121
विरासत
अवध पंच : भारतीय काटू‍र्न विधा के उदय में साम्राज्यवादविरोधी चेतना की भूमिका :

संजीव कुमार / 128
रिपोर्ताज
हरसूद के विस्थापित : मनोज कुलकर्णी / 138
कविता
मेले में : शबनम शुक्ला / 145
दो कविताएं : सुरेश सेन निशांत
पेड़ / 148
लड़ाई / 148
चार ग़ज़लें : जहीर कुरेशी / 150
सदी का आदमी : भगवान स्वरूप कटियार / 152
चर्चा
नोबेल पुरस्कार ला क्लेजि़ओ : चंचल चौहान / 154
ज्ञानपीठ पुरस्कार कुंवर नारायण : विनोद भारद्वाज / 158
बुकर पुरस्कार अरविंद अडिगा : अरविंद कुमार मिश्र / 160
पुस्तक समीक्षा
बराय हलफ़नामा पूरी तस्वीर : रेखा अवस्थी / 165
आदमख़ोर दुपहरी में पौधे : दीपक मंजुल / 169
रंगकर्मी कोश : मुरली मनोहर प्रसाद सिंह / 171

1 comment:

Raag Viraag said...

Keval suchi se kaam nahi chalega, kuchha saamagri bhi blog me publish kijiye.