प्रेस विज्ञप्ति
नयी दिल्ली : 30 अगस्त : बुद्धिवादी वाम-विचारक और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कन्नड़ विद्वान् प्रो. एम एम कलबुर्गी की हत्या नरेंद्र दाभोलकर और कामरेड गोविंद पानसारे की हत्या की ही अगली कड़ी है। यह बात संदेह से परे है कि दकियानूस हिंदुत्ववादी ताक़तों ने इस काम को अंजाम दिया है। जून 2014 में हिंदुत्ववादी कार्यकर्ताओं ने प्रो. कलबुर्गी और यू आर अनंतमूर्ति के ख़िलाफ़, धार्मिक भावनाओं को आहत करने की शिकायत करते हुए, मुक़दमा दर्ज किया था। बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद् और श्री राम सेने ने उनकी कुछ टिप्पणियों को निशाने पर लेते हुए राज्यव्यापी विरोध-प्रदर्शन किया था और उनके घर के बाहर प्रदर्शन करते हुए बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने पत्थर और सोडा वाटर की बोतलें भी फेंकी थीं। आज सुबह धारवाड़ में उनकी हत्या के बाद बजरंग दल के मंगलोरवासी नेता भुविथ शेट्टी ने ट्वीट किया, ‘उस समय यू आर अनंतमूर्ति था और अब एम एम कलबुर्गी. हिदू धर्म का मज़ाक़ उडाओ और कुत्ते की मौत मरो. और प्रिय के एस भगवान, तुम्हारा नंबर अगला है।’ यह हत्यारों द्वारा इस बात का खुलेआम ऐलान है कि हमने हत्या की है और आगे भी करेंगे. श्री के एस भगवान मैसूर विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं और हिंदुत्ववादी समूहों की राजनीति पर टिप्पणी करने की वजह से उन्हें धमकियां मिलती रही हैं।
आज नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के 2 साल बाद भी उनके हत्यारों का कुछ पता नहीं
चला है। प्रो. एम एम कलबुर्गी के मामले में प्रशासन के पास इस तरह अंधेरे में तीर
मारने के बहाने भी नहीं हैं। उनके हत्यारे सोशल मीडिया पर जश्न मनाते हुए दिखायी पड़
रहे हैं।
जनवादी लेखक संघ मांग करता है कि प्रो. एम एम कलबुर्गी के हत्यारों को बिना
किसी बहाने अविलंब गिरफ्तार किया जाये और राज्य-सरकार संविधान प्रदत्त
अभिव्यक्ति की आज़ादी के पक्ष में तथा हत्या और धमकी की राजनीति के ख़िलाफ़ अपना दृढ़
रवैया प्रदर्शित करे.