Tuesday, May 24, 2011

श्रद्धांजलि

जनवादी लेखक संघ

केंद्रीय कार्यालय

42 अशोक रोड, नयी दिल्ली-110001

फोन: 23738015, मेल: jlscentre @ yahoo.com

Website: www.jlsindia.org

Dated 25-5 2011

प्रिय रचनाकार साथी

आप को सूचना मिली होगी कि हिंदी के प्रसिद्ध मार्क्सवादी आलोचक चंद्रबली सिंह का 23 मई को सुबह 8.30 बजे वाराणसी के त्रिमूर्ति अस्पताल में देहावसान हो गया।

उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एक सभा का आयोजन साहित्य अकादमी के तीसरे तल के सभागार में सोमवार 30 मई 2011 को शाम 5.00 बजे होगा

आपसे अनुरोध है कि आप इस श्रद्धांजलि सभा में शिरकत करें

भवदीय

मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, महासचिव

चंचल चौहान, महासचिव

Monday, May 23, 2011

चंद्रबली सिंह नहीं रहे

नयी दिल्ली_२३ मई : जनवादी लेखक संघ हिंदी के प्रसिद्ध मार्क्सवादी आलोचक चंद्रबली सिंह के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त करता है। वे दो दिन पहले ही अचानक बीमार हुए और वाराणसी के त्रिमूर्ति अस्पताल में आज उनका देहावसान हो गया।

चंद्रबली सिंह का जन्म 20 अप्रैल 1924 को गाजीपुर जिले के रानीपुर गांव में जो कि उनकी ननिहाल था हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी में हुई और फिर बी एम (अंग्रेजी, 1944) इलाहाबाद विश्वविद्यालय से किया। उसके बाद वे बलवंत राजपूत कालेज आगरा में और बाद में वाराणसी के ही उदयप्रताप कालेज में अंग्रेजी के प्राध्यापक रहे, 1984 में सेवामुक्त हो कर लेखन और संगठनात्मक कार्य में सक्रिय भागीदारी करने लगे।

1982 में जनवादी लेखक संघ के स्थापना सम्मेलन में भैरव प्रसाद गुप्त अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे और चंद्रबली सिंह महासचिव। बाद में वे उसके अध्यक्ष हो गये थे।

आलोचना की उनकी दो पुस्तकें, लोकदृष्टि और हिंदी साहित्य और आलोचना का जनपक्ष काफी सराही गयीं। वे वाराणसी से प्रकाशित अखबार आज के रविवारीय संस्करण में साहित्यिक कालम में दस साल तक लेखन करते रहे, इसके अलावा हंस, पारिजात, नयी चेतना, नया पथ, स्वाधीनता आदि अपने समय की साहित्यिक पत्रिकाओं में लगातार लेखन करते रहे। एक अनुवादक के रूप में भी उनके काम की बहुत सराहना हुई उनके द्वारा पाब्लो नेरूदा की कविताओं के अनुवाद का एक संग्रह साहित्य अकादमी ने प्रकाशित किया, नाजिम हिकमत की कविताओं का अनुवाद, हाथ शीर्षक से प्रकाशित हुआ था। वाल्ट व्हिटमैन और एमिली डिकिन्सन की चुनी हुई कविताओं के अनुवाद संचयन सीरीज में वाणी प्रकाशन ने छापे। इसके अलावा उन्होंने ब्रेख्त, मायकोव्स्की, आदि की हज़ारों पृष्ठों में फैली हुई कविताओं के हिंदी रूपांतर किये थे, दुर्भाग्य से इनमें से अधिकांश अप्रकाशित हैं। इसके अलावा नागरी प्रचारिणीसभा के विश्वकोश की अंग्रेजी साहित्य से संबंधित सभी प्रविष्टियां चंद्रबली सिंह ने ही लिखी थीं।

वे युवा काल में ही कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य हो गये थे। पार्टी के विभाजन के बाद वे मार्क्सवादी पार्टी के साथ रहे और जीवन भर अपनी प्रतिबद्धता से विचलित नहीं हुए। अपनी वैचारिक दृढ़ता और भारत के शोषित जनगण के सघर्षों के प्रति अडिग लगाव के कारण वे हमारे प्रेरणा स्रोत थे, उनके देहावसान से जनवादी सांस्कृतिक आंदोलन को एक नुकसान जरूर हुआ है। हम उनके शोकसंतप्त परिवार और मित्रजनों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं।

मुरली मनोहर प्रसाद सिह, महासचिव

चंचल चौहान महासचिव